Neem Karoli Baba, Neem Karoli Baba Mandir, Neem Karoli Baba History, Neem Karoli Baba ashram booking, Neem Karoli Baba Biography नीम करोली बाबा, नीम करोली बाबा लीला, नीम करोली बाबा की प्रार्थना कैसे करें
आजकल नीम करोली बाबा की चर्चा भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रही है। नीम करोली बाबा की महिमा और चमत्कार अद्भूत हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति उनसे प्रभावित हो जाता है। बाबा की अनोखी महिमा के कारण ही स्टीव जॉब्स तथा मार्क जुकरबर्ग जैसे विदेशी बिजनेसमैन अपनी सफलता का श्रेय नीम करोली बाबा को देते हैं।
नीम करोली बाबा कौन हैं ? ( Who is Neem Karoli Baba? )
नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा है। लेकिन उनके चमत्कारों के कारण उनके शिष्य उन्हें अलग-अलग नामों से जैसे नीम करोली बाबा, हांडी वाले बाबा तथा तिकोनिया वाले बाबा से सम्बोधित करते हैं। नीम करोली बाबा को भगवान हनुमान जी का अवतार माना जाता है। जिसके कारण उनके शिष्य उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं। नीम करोली बाबा ने अपने जीवन काल में बहुत से चमत्कार किए, जिससे उनकी महिमा को लोगों ने पहचाना और उनसे जुड़ गए।
नीम करोली बाबा बायोग्राफी ( Neem Karoli Baba Wikipedia )
नीम करोली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश में फरीदाबाद जिले के अकबरपुर गांव में लगभग 1900 ईस्वी में हुआ था। इनका जन्म अकबरपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा तथा इनका वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। लक्ष्मी नारायण बचपन से ही बहुत तेजस्वी थे ,जिससे इनके पिता इनसे बहुत प्रभावित थे। नीम करोली बाबा की शादी 11 वर्ष की आयु में हो गई थी। लेकिन इनका मन सांसारिक मोह में नहीं लगा और घुमक्कड़ साधु की तरह बाहर निकल गए। लेकिन पिता के द्वारा निवेदन किए जाने पर वह पुनः घर लौट आए।
नीम करोली बाबा के तीन बच्चे हुए, जिसमें दो बेटे तथा एक बेटी थी। लेकिन नीम करोली बाबा को सांसारिक मोह माया ने रोक नहीं पाया और वह पुनः घर से चले गए। जिसके बाद नीम करोली बाबा ने गुजरात के बवानिया गांव में जाकर तपस्या साधना की और इसके परिणामस्वरूप उन्हें आठ सिद्धियां प्राप्त हुई। नीम करोली बाबा फिर लोगों की सेवा और चमत्कार करने लगे। सन् 1940 के बाद से नीम करोली बाबा के जीवन में चमत्कार तथा महिमा शब्द जुड़ गया।
नीम करोली बाबा भगवान हनुमान की पूजा करते थे, इन्होंने अपने जीवन काल में हनुमान जी के बहुत से मन्दिर बनवाएं। बाबा नीम करोली का निधन वृंदावन के हाॅस्पिटल में 11 सितंबर 1973 को हुआ।
नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध हैं ?
नीम करोली बाबा की प्रसिद्धि उनके चमत्कारों तथा महिमा के कारण सम्पूर्ण विश्व में हो रही है। नीम करोली बाबा ने अपने जीवन काल में बहुत से चमत्कार किए, जिससे व्यक्ति उनसे बहुत अधिक प्रभावित होने लगे। बाबा का व्यक्तित्व बहुत ही सरल था, उनके शिष्य बताते हैं कि जो भी व्यक्ति उनसे मिलने आता था। तो वह बाबा के विचारों से प्रभावित होकर यहीं का हो जाता था। जिसमें हाॅलीबुड के अभिनेता तथा अभिनेत्री,विदेशी बिजनेसमैन, भारतीय उच्च कोटि के बहुत से लोग अपनी सफलता और समृद्धि का श्रेय नीम करोली बाबा को देते हैं।
नीम करोली बाबा की कहानी ( Neem Karoli Baba Story )
लक्ष्मी नारायण शर्मा से नीम करोली बाबा बनने के पीछे की कहानी है। जिससे लक्ष्मी नारायण शर्मा नीम करोली बाबा के नाम से प्रचलित हुए।
एक बार फर्रुखाबाद जिले के नीम करोली गांव में नीम करोली बाबा ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। तभी उन्हें टीटी ने आकर पकड़ लिया क्योंकि उनके पास ट्रेन यात्रा के लिए टिकट नहीं था। बाबा के पास टिकट ना होने पर टीटी ने बाबा को ट्रेन से नीचे उतार दिया। जिसके बाद उनके शिष्य रामदास बताते हैं, की ट्रेन ड्राइवर के द्वारा ट्रेन को आगे बढ़ाने की बहुत कोशिश की गई। लेकिन ट्रेन स्टार्ट ही नहीं हुई और वहीं खड़ी हो गई। तभी ट्रेन के लोगों ने टीटी से कहां कि आपने बाबा को ट्रेन से नीचे उतार दिया, इसीलिए ट्रेन स्टार्ट नहीं हो रही है। अब जाओ और बाबा को ट्रेन पर लेकर आओ। जिससे टीटी ने बाबा से जाकर बोला की आप ट्रेन की यात्रा करिए और मुझसे गलती हो गई।
नीम करोली बाबा ने ट्रेन की यात्रा करने के लिए टीटी से दो शर्तें रखी। पहली शर्त यह थी कि बाबाओं तथा संतों से सही व्यवहार किया जाए तथा दूसरी शर्त नीम करोली हल्ट को स्टेशन बनाया जाए। जिसके बाद बाबा ट्रेन पर चढ़े और ट्रेन स्टार्ट हो गई। इसी चमत्कार से गांव वालों ने लक्ष्मी नारायण शर्मा का नाम नीम करोली बाबा रख दिया और गांव में बाबा की कुछ समय तक सेवा भी की।
नीम करोली बाबा के चमत्कार ( Neem Karoli Baba Miracle )
नीम करोली बाबा के जीवन से बहुत से चमत्कार जुड़े हुए हैं, जिससे उनके शिष्य उन्हें भगवान हनुमान का अवतार मानते हैं।
एक बार नीम करोली बाबा उत्तराखंड में भवाली घाटी के रास्ते पर बैठे हुए थे। तभी उन्हें दूर घाटी के ऊपर एक व्यक्ति दिखाई दिया। जिसको पूरन नाम लेकर बुलाया, वह व्यक्ति बाबा के पास आया और यह सोचकर चिन्तित था कि वह इन बाबा से कभी मिला ही नहीं। फिर इन्हें मेरा नाम कैसे पता है। इस प्रश्न को व्यक्ति ने बाबा से किया? तभी बाबा कहते हैं कि मेरा तुमसे जन्मों जन्म का रिश्ता है। तुम जाओ और मेरे लिए भोजन लें आओ मुझे भूख लगी है। तभी पूरन घर जाकर बाबा के लिए भोजन ले आता है जिसको नीम करोली बाबा ग्रहण कर लेते हैं।
इसके बाद नीम करोली बाबा पूरन से कहते हैं कि गांव में जाकर चार-पांच लोगों को बुला लाओ। बाबा के कहने पर पूरन गांव से लोगों को ले आता है। तभी नीम करोली बाबा भवाली से थोड़ी दूर पर नदी को पार करके एक स्थान पर पहुंचते हैं। नीम करोली बाबा उन लोगों से कहते हैं कि वहां पर रखें हुए पत्थर को हटाओ वहां पर एक गुफा है। जिससे लोगों को यह झूठ लगता है कि यहां कोई गुफा होगी। क्योंकि वह लोग वहीं के निवासी थे, उन्होंने आज से पहले उस स्थान पर किसी गुफा के होने का जिक्र नहीं सुना था। लेकिन नीम करोली बाबा के कहने पर पत्थर हटाते हैं और वहां पर एक गुफा को देखते हैं। जिससे सभी व्यक्ति नीम करोली बाबा के चमत्कार को देखकर उनसे प्रभावित हो जाते हैं।
इस गुफा के अन्दर जाने से पता चलता है कि इसमें हनुमान जी का स्थान बना हुआ है। जिससे नीम करोली बाबा पुनः भगवान हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करते हैं। यह स्थान कैंची धाम था जिसमें नीम करोली बाबा ने अपना आश्रम भी बनाया।
नीम करोली बाबा से स्टीव जॉब्स कैसे मिले ?
एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स भारतीय संस्कृति को देखने के लिए 1974 ईस्वी में भारत आए थे। तभी उन्होंने नीम करोली बाबा के चमत्कारों के बारे में सुना और नीम करोली बाबा से मिलने कैंची धाम चले गए। लेकिन स्टीव जॉब्स को वहां जाकर पता चला की नीम करोली बाबा का निधन एक वर्ष पहले ही हो गया है। जिसके कारण वह उनसे नहीं मिल पाए लेकिन उन्होंने कुछ समय कैंची धाम में व्यतीत किया। जिसके दो वर्ष बाद उन्होंने एप्पल कम्पनी की शुरुआत की। स्टीव जॉब्स अपनी इस सफलता का श्रेय नीम करोली बाबा को देते हैं।
जब स्टीव जॉब्स का निधन हुआ, तो उनके बिस्तर के नीचे नीम करोली बाबा की फोटो निकली। जोकि यह प्रमाणित करता है कि वह नीम करोली बाबा के आश्रम में गए हुए थे।
नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग कहानी
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि स्टीव जॉब्स ने उनसे कहा था कि जब भी तुम भारत जाओ तो नीम करोली बाबा के आश्रम कैंची धाम में जरूर जाना।
जब फेसबुक की स्थिति सही नहीं थी तब मार्क जुकरबर्ग भारत आए और कैंची धाम में भी गए थे। मार्क जुकरबर्ग कैंची धाम में एक दिन के लिए गए थे, लेकिन वह वहां दो दिन रूक कर आए। मार्क जुकरबर्ग बताते हैं कि जब वह कैंची धाम से अपने देश लौटे, उसके बाद फेसबुक ने सफलता की ऊंचाई छूना शुरू कर दी। जिससे मार्क जुकरबर्ग के जीवन पर नीम करोली बाबा की महिमा का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा।
नीम करोली बाबा के शिष्य
नीम करोली बाबा के शिष्यों में भारतीयों के साथ-साथ विदेश के महान व्यक्ति भी शामिल हैं। जिसमें एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स, फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग, भगवान दास, रिचर्ड ऐल्फेट, लैरी व्रिलियट, लैरी वैज, जय उत्तल, कृष्ण दास, सूर्य दास जैसे बहुत से लोग शामिल हैं।
इन शिष्यों में हालीबुड की अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं। जूलिया रॉबर्ट्स के बारे में यह कथन है कि जूलिया राबर्ट्स ने नीम करोली बाबा की तस्वीर को देखने मात्र से ही हिन्दू धर्म को स्वीकार कर लिया। तब यह कैंची धाम में भी नहीं गई थीं। इस चमत्कार के बारे में जूलिया रॉबर्ट्स अपने इंटरव्यू में भी बतातीं हैं।
ऐसा ही एक चमत्कार हावर्ड यूनिवर्सिटी के कैमिस्ट प्रोसेसर रिचर्ड ऐल्फेट के साथ में हुआ था। प्रोसेसर भारत घूमने आए थे,उस समय वह कुछ दुर्लभ परिस्थितियों से गुजर रहे थे। तभी वह घूमने के उद्देश्य से कैंची धाम में गए। प्रोसेसर आसमान के नीचे बैठकर तारों को देख रहे थे, तभी वहां नीम करोली बाबा आए और रिचर्ड ऐल्फेट से कहने लगे की तुम अपनी मां के बारे में सोचकर दुखी मत हो। इसी के साथ प्रोसेसर से उनके जीवन से जुड़ी अन्य बातें भी कहीं। जिससे प्रोसेसर उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हो गए और वह हमेशा के लिए अपना नाम राम दास बदलकर नीम करोली बाबा के शिष्य बनकर कैंची धाम में रहने लगे।
राम दास ने नीम करोली बाबा के चमत्कार तथा उनसे जुड़े जीवन के बहुत से पहलुओं पर किताब भी लिखी है।
नीम करोली धाम कहां है ? ( Neem Karoli Dham Kahan hai ? )
नीम करोली बाबा के देश तथा विदेश में बहुत से आश्रम बने हुए हैं। लेकिन नीम करोली बाबा के द्वारा मुख्य रूप से उनके दो धाम बनाए गए हैं। भारत में बाबा का एक धाम उत्तराखंड की वादियों में कैंची धाम आश्रम के नाम से मशहूर है तथा दूसरा उत्तर प्रदेश के वृंदावन में बना हुआ है।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई ?
नीम करोली बाबा आगरा से कैंची धाम आश्रम जा रहे। तभी मधुमेह कोमा रोग के कारण रास्ते में ही उनकी तबीयत खराब होने लगी। जिससे उनके साथियों ने उन्हें वृंदावन में आकर एक हास्पिटल में भर्ती कर दिया।
नीम करोली बाबा के बारे में कहा जाता है कि जब डाक्टरों ने आक्सीजन मास्क और शरीर में सुई लगाई तो उन्होंने उन सब को हटा दिया और कहा अब मेरा समय आ गया है। गंगाजल को ले आओ, गंगाजल को लेकर उन्होंने भगवान का स्मरण करते हुए 11 सितंबर 1973 को जीवन यात्रा की एक गहरी समाधि में लीन हो गए।
नीम करोली बाबा की समाधि कहां पर है ?
नीम करोली बाबा की समाधि वृंदावन में उन्हीं के आश्रम में बनी हुई है। यहां पर नीम करोली बाबा के नाम का मंदिर बनाया गया है। जिसमें उनके शिष्य उनकी सेवा करते हैं।
नीम करोली बाबा वृंदावन आश्रम पता ( Neem Karoli Baba Vrindavan Location )
नीम करोली बाबा का आश्रम वृंदावन में बना हुआ है। जोकि समाधी मन्दिर, अटाला चुंगी रोड, वृंदावन उत्तर प्रदेश में स्थित है।
नीम करोली बाबा नैनीताल आश्रम पता ( Neem Karoli Baba Nainital Location )
नीम करोली बाबा का दूसरा मुख्य आश्रम कैंची धाम है। जोकि नैनीताल से 7 किलोमीटर दूर भवाली रेंज में अल्मोड़ा मार्ग उत्तराखंड पर स्थित है।
ये भी पढ़ें :
3. Google Bard AI : गूगल बार्ड एआई क्या है ? जाने कैसे Chat GPT को दे रहा है टक्कर
FAQ :
Q.1 नीम करोली बाबा के कैंची धाम आश्रम कैसे जाएं ?
Ans. नीम करोली बाबा के कैंची धाम नैनीताल से होकर भवाली रेंज में अल्मोड़ा मार्ग पर जाएं। जहां पर कैंची धाम आश्रम बना हुआ है।
Q.2 नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम क्या है?
Ans. बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा है।
Q.3 नीम करोली बाबा के आश्रम कहां पर स्थित हैं?
Ans. नीम करोली बाबा के आश्रम कैंची धाम उत्तराखंड तथा वृंदावन उत्तर प्रदेश में स्थित है।
Q.4 नीम करोली बाबा के पिता का नाम क्या है?
Ans. दुर्गा प्रसाद शर्मा।