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प्रेमानंद महाराज जी को तो आप जानते ही होगे जोकि वृंदावन में राधा रानी का भजन कीर्तन करते हैं। इसी के साथ आज के समय में सभी प्रकार के प्राणियों को भजन मार्ग के द्वारा मोक्ष प्राप्ति का ज्ञान दे रहे हैं। आज हम संत महाराज प्रेमानंद जी के जीवन के बारे में जानेंगे।
प्रेमानंद जी महाराज विकिपीडिया ( Premanand Maharaj Ji Wikipedia )
नाम | श्री गोविन्द शरण महाराज जी |
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बचपन का नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडे |
जन्म स्थान | कानपुर, सरसो नामक गांव |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | श्री शंभू पांडे |
माता का नाम | श्रीमती रामा देवी |
गुरु का नाम | श्री गौरंगी शरण महाराज जी |
सम्प्रदाय | राधा वल्लभ सम्प्रदाय |
प्रथम तपोस्थली | वाराणसी, तुलसी घाट |
वर्तमान स्थान | वृंदावन |
रोग | किडनी खराब |
बेबसाइट | vrindavanrasmahima.com |
प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय ( Premanand Ji Maharaj Biography )
प्रेमानंद महाराज जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थित सरसो नामक एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है। इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे तथा माता का नाम श्रीमती रामा देवी है। प्रेमानंद जी के दादा ने संन्यास ग्रहण किया था और पिता जी भी भगवान की पूजा करते थे। प्रेमानंद जी बताते हैं, उनके बड़े भाई प्रतिदिन शाम के समय भगवत पाठ करते थे जिसे पूरा परिवार बैठकर सदैव सुनता था।
इन्हीं सब बातों का प्रभाव प्रेमानंद जी के जीवन पर पड़ा और उन्होंने पांचवी कक्षा से ही गीता पढ़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्हें अध्यात्मिक ज्ञान की जानकारी होने लगी और वह उसकी तरफ आकर्षित होने लगे। इसी के परिणाम स्वरूप प्रेमानंद महाराज जी ने 13 वर्ष की उम्र में ब्रह्मचारी बनने का निर्णय किया और घर छोड़कर सन्यासी का जीवन व्यतीत करने लगे।
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी कैसे बने संन्यासी ?
प्रेमानंद जी बताते हैं, की जवानी गीता तथा अन्य पुराणों को पढ़ना शुरू किया। तो उन्हें अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिसका लक्ष्य है की व्यक्ति जीवन में भगवद् प्राप्ति के लिए आया है और इसी से उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।
प्रेमानंद जी को लगने लगा की उन्हें जो स्कूलों में पढ़ाया जाता है, उससे व्यक्ति जिस कार्य के लिए आया है उसकी प्राप्त नहीं होती है। इसीलिए स्कूली शिक्षा मेरे लिए किसी कार्य की नहीं है। जिसके कारण प्रेमानंद जी ने अपने बाबा की तरह सन्यास ग्रहण कर लिया। जब इन्होंने सन्यासी जीवन की शुरुआत की तब प्रेमानंद जी का नाम आरयन ब्रह्मचारी रखा गया।
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी की तपोस्थली कहाॅं है?
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी सन्यासी बनने के लिए घर छोड़कर वाराणसी आ गए। यहीं पर उन्होंने सन्यासी का जीवन व्यतीत करना प्रारंभ किया। महाराज के सन्यासी जीवन की दिनचर्या में वह माता गंगा की लहरों में प्रतिदिन तीन बार स्नान करते थे और तुलसी घाट पर भगवान शिव और माता गंगा का ध्यान और पूजा करते थे।
प्रेमानंद जी बताते हैं, की उनके भोजन प्राप्त करने का एक नियम था। वह प्रत्येक दिन में सिर्फ एक बार भिक्षा मांगने के स्थान पर भोजन की इच्छा लेकर 10 से 15 मिनट बैठते थे। उस समय में यदि उन्हें भोजन मिलता था तो वह ग्रहण करते थे। अन्यथा वह गंगाजल ग्रहण करके ही जीवन यापन कर रहे थे। ऐसी सन्यासी दिनचर्या में प्रेमानंद जी का कहना है, कि उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता था।
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी वृन्दावन कैसे आए ?
प्रेमानंद महाराज जी के वृंदावन आने की भी चमत्कारी कहानी है, महाराज जी के सन्यासी जीवन की एक ही दिनचर्या थी की भगवान शिव और माता गंगा का स्मरण ध्यान करना। लेकिन एक दिन महाराज जी से मिलने एक अपरिचित संत आए और उन्होंने कहा श्री हनुमत धाम विश्वविद्यालय में श्रीराम शर्मा के द्वारा दिन में श्री चैतन्य लीला तथा रात्रि में रासलीला मंच का आयोजन किया गया है। जिसमें आप भी आमंत्रित हैं और चैतन्य लीला तथा रास लीला में अवश्य आए।
महाराज जी ने अपरिचित साधु को पहले तो वहां आने के लिए मना किया लेकिन साधु की जिद के कारण महाराज जी ने आमंत्रण स्वीकार कर लिया। जब महाराज जी चैतन्य लीला और रासलीला देखने गए तो उन्हें वह बहुत अधिक पसंद आई। जिसका आनंद उन्होंने 1 महीने तक लिया। जिसके बाद उसका समापन कर दिया गया।
तभी महाराज जी इस बात को लेकर व्याकुल होने लगे कि अब उन्हें रासलीला देखने को कैसे मिलेगी। इसीलिए वह रासलीला करवाने वाले व्यक्ति के पास गए और उससे कहा कि मुझे भी अपने साथ ले चलो। जिससे मैं इस रासलीला को देख पाऊंगा इसके बदले में मैं आप लोगों की सेवा करता रहूंगा।
ऐसा सुनने पर उस व्यक्ति ने कहा कि बाबा आप वृंदावन आ जाइए वह आपको प्रतिदिन रासलीला देखने को मिलेगी। ऐसे सुनते ही महाराज जी बताते हैं, कि अब उन्हें वृंदावन आने की ललक लग गई और अंदर से वृंदावन आने की प्रेरणा मिली।
एक दिन महाराज जी ध्यान में बैठे हुए थे तभी युगल किशोर नाम के एक संत वहां आए और उन्हें प्रसाद देने लगे। महाराज जी ने उस प्रसाद को लेने से मना कर दिया और कहा कि आप यह मुझे ही क्यों दे रहे हैं यहां पर बहुत से लोग हैं जिन्हें आप इस प्रसाद को दे सकते हैं। तभी उन्होंने बताया कि मुझे इस प्रसाद को आप को ही देना है मुझे इस चीज की अन्दर से प्रेरणा मिली है। इसके बाद युगल किशोर महाराज जी को अपने घर ले गए और वहां उन्हें भोजन कराया। तभी महाराज जी ने युगल किशोर को वृंदावन जाने के बारे में कहा, की वह वृंदावन जाना चाहते हैं। युगल किशोर ने ऐसा सुनकर कहा की वह कल वृंदावन जाने की तैयारी कर लें।और अगले ही दिन महाराज जी को वृंदावन की ट्रेन में बैठा दिया।
जिससे महाराज जी वृन्दावन में राधा जी और कृष्ण भगवान के चरणों में आ गए और भगवद् प्राप्ति में लग गए। इसी के साथ महाराज जी ने संन्यासी का जीवन छोड़ दिया और भक्ति मार्ग में आ गए। साथ ही प्रेमानंद महाराज जी वृन्दावन आकर राधा वल्लभ सम्प्रदाय में जुड़कर संत हो गए।
प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज किडनी ( Premanand Govind Saran Ji Maharaj Kidney )
प्रेमानंद महाराज जी ने लगभग 45 वर्ष की उम्र में रामकृष्ण मिशन में अपनी शारीरिक समस्याओं के कारण इलाज कराया। तो जांचों के माध्यम से डाक्टरों ने पाया कि उनकी दोनों किडनी खराब हैं। डाक्टरों ने बताया कि उनका जीवन अधिक से अधिक पांच वर्षों का है। लेकिन महाराज जी बताते हैं,कि उनके ऊपर राधा रानी की ऐसी कृपा है कि अब तक 17 वर्ष हो गए हैं और वह अभी तक जीवित हैं।
लेकिन महाराज जी को किडनी की वजह से प्रतिदिन डाएलेसिस करानी होती है। जिसकी व्यवस्था उनके आश्रम में ही की गई है।
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज की आयु ( Premanand ji Maharaj Age )
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी की आयु लगभग 60 वर्ष की है। उन्होंने अपने सन्यासी जीवन की शुरुआत 13 वर्ष की आयु से कर दी। जिसके बाद वृंदावन आकर राधा रानी की भक्ति मार्ग में राधा वल्लभ सम्प्रदाय से चलने लगे।
प्रेमानंद जी महाराज वृन्दावन ( Premanand ji Maharaj Vrindavan )
प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में राधा रानी का भजन कीर्तन करते हैं। इसी के साथ अपने प्रवचन से सभी लोगों को भगवत प्राप्ति के माध्यम से मोक्ष का मार्ग बताते हैं। महाराज जी के प्रवचन में देश की महान हस्तियां शामिल होती हैं। जिसमें विराट कोहली,अनुष्का शर्मा तथा गायक बी पराक जैसे बहुत से लोग शामिल हैं।
प्रेमानंद महाराज जी का कहना है की इस जीवन में भगवान के नाम का जाप करने से ही जीवन का कल्याण हो जाएगा। महाराज जी अपने जीवन में राधा नाम का जाप करते हैं। इसी जाप की महिमा है, की महाराज जी की किडनी खराब होते हुए भी वह अभी भी जीवन पथ पर चल रहे हैं।
प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन ( Premanand ji Maharaj ke Pravachan )
प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज जी वृंदावन में प्रवचन सुनाते हैं जिसमें कोई भी व्यक्ति शामिल हो सकता है। महाराज जी के प्रवचन का प्रसारण यूट्यूब पर भजन मार्ग चैनल के माध्यम से भी किया जाता है।
महाराज जी के सत्संग प्रवचन सुबह के 4:30 - 5:30 समय तक की अवधि में होते हैं। इसी के साथ एकांतिक वार्तालाप का समय सुबह 6:30 से 7 बजे तक का है।
प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम पता ( Premanand ji Maharaj Vrindavan Address )
प्रेमानंद महाराज जी का वृंदावन में आश्रम है, जिसमें जाकर व्यक्ति महाराज जी से मिल सकता है और उनके प्रवचनों को भी सुन सकता है।
महाराज जी वृंदावन आश्रम श्री हित राधा केली कुन्ज, वृंदावन मार्ग,वराह घाट पर स्थित है।
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FAQ :
Q.1 प्रेमानंद जी महाराज कौन हैं?
Ans. प्रेमानंद जी महाराज वृन्दावन में राधा रानी का भजन कीर्तन करते हैं। यह राधा वल्लभ सम्प्रदाय के संत हैं।
Q.2 प्रेमानंद जी महाराज की उम्र कितनी है?
Ans. प्रेमानंद महाराज जी वर्तमान उम्र लगभग 60 वर्ष है।
Q.3 प्रेमानंद जी महाराज क्यों प्रसिद्ध हैं?
Ans. प्रेमानंद महाराज जी आज के लोगों को अपने प्रवचनों के माध्यम से भगवद् प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जिसके माध्यम से व्यक्ति का कल्याण संभव है।
Q.4 प्रेमानंद जी महाराज से कैसे मिल सकते हैं?
Ans. प्रेमानंद महाराज जी से वृंदावन में उनके आश्रम श्री हित राधा केली कुन्ज में जाकर मिल सकते हैं।